पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आएंगे केंद्र के ये कर्मचारी, नेशनल पेंशन सिस्टम से होंगे बाहर
केंद्र सरकार के उन कर्मचारियों के लिए खुशी की खबर है जो किन्हीं कारणों से पुरानी पेंशन व्यवस्था यानी सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 के दायरे में आने से चूक गए थे।
केंद्र सरकार के उन कर्मचारियों के लिए खुशी की खबर है जो किन्हीं कारणों से पुरानी पेंशन व्यवस्था यानी सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 के दायरे में आने से चूक गए थे।
केंद्र सरकार के उन कर्मचारियों के लिए खुशी की खबर है जो किन्हीं कारणों से पुरानी पेंशन व्यवस्था यानी सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 के दायरे में आने से चूक गए थे। भले ही उनकी भर्ती प्रक्रिया एक जनवरी 2004 से पहले पूरी हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में शामिल कर दिया गया।
पुरानी पेंशन व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए जरूरी है कि संबंधित कर्मचारी की भर्ती प्रक्रिया एक जनवरी 2004 से पहली पूरी हुई हो, लेकिन उसे ज्वाइनिंग एक जनवरी के बाद दी गई हो। केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों को एक पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था में शामिल होने के लिए अपना आवेदन दे सकते हैं।
हालांकि उन्हें वन टाइम ऑप्शन मिलेगा। केंद्रीय कर्मियों को 31 मई 2020 तक अपना जवाब देना होगा। यदि कोई कर्मचारी एक बार अपना जवाब दे देता है तो उसे अंतिम मानकर क्रियान्वित कर दिया जाएगा। इसके बाद कर्मचारी का रिकॉर्ड भर्ती अथॉरिटी के पास पहुंचेगा।
अगर वह कर्मचारी सभी शर्तें पूरी करता है तो उसे सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 के दायरे में ले लिया जाएगा। इस बाबत 30 सितंबर 2020 तक फाइनल आदेश जारी होगा और संबंधित कर्मचारी का एनपीएस खाता 1 नवंबर 2020 से स्थायी तौर पर बंद कर दिया जाएगा।
एक जनवरी 2004 से एनपीएस स्कीम शुरू हुई थी...
तीनों सेनाओं को छोड़कर बाकी अधिकांश विभागों में पुरानी पेंशन व्यवस्था, जिसे सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 कहा जाता है, खत्म कर दी गई थी। इसकी जगह पर नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस शुरू किया गया। रेलवे एवं दूसरे कई विभागों ने केंद्र सरकार की नई व्यवस्था का विरोध किया था।
कर्मियों का कहना था कि यह नीति उनके आर्थिक हितों के खिलाफ है। हालांकि सरकार ने कर्मचारी यूनियनों के विरोध के बावजूद एनपीएस को लागू कर दिया। यह मामला अदालत में भी पहुंचा। बहुत से कर्मियों ने तर्क देकर खुद को पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में लाए जाने की मांग उठाई।
केंद्र सरकार ने अब तय किया है कि ऐसे कर्मचारी जिनकी ज्वाइनिंग किसी कारणवश एक जनवरी 2004 को या उसके बाद हुई है, मगर उनकी भर्ती प्रक्रिया इस तारीख से पहले ही पूरी हो चुकी थी, वे पुरानी पेंशन व्यवस्था में शामिल होने के लिए आवेदन दे सकते हैं।
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हालांकि उन्हें वन टाइम ऑप्शन मिलेगा। केंद्रीय कर्मियों को 31 मई 2020 तक अपना जवाब देना होगा। यदि कोई कर्मचारी एक बार अपना जवाब दे देता है तो उसे अंतिम मानकर क्रियान्वित कर दिया जाएगा। इसके बाद कर्मचारी का रिकॉर्ड भर्ती अथॉरिटी के पास पहुंचेगा।
अगर वह कर्मचारी सभी शर्तें पूरी करता है तो उसे सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 के दायरे में ले लिया जाएगा। इस बाबत 30 सितंबर 2020 तक फाइनल आदेश जारी होगा और संबंधित कर्मचारी का एनपीएस खाता 1 नवंबर 2020 से स्थायी तौर पर बंद कर दिया जाएगा।
एक जनवरी 2004 से एनपीएस स्कीम शुरू हुई थी...
तीनों सेनाओं को छोड़कर बाकी अधिकांश विभागों में पुरानी पेंशन व्यवस्था, जिसे सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1972 कहा जाता है, खत्म कर दी गई थी। इसकी जगह पर नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस शुरू किया गया। रेलवे एवं दूसरे कई विभागों ने केंद्र सरकार की नई व्यवस्था का विरोध किया था।
कर्मियों का कहना था कि यह नीति उनके आर्थिक हितों के खिलाफ है। हालांकि सरकार ने कर्मचारी यूनियनों के विरोध के बावजूद एनपीएस को लागू कर दिया। यह मामला अदालत में भी पहुंचा। बहुत से कर्मियों ने तर्क देकर खुद को पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में लाए जाने की मांग उठाई।
केंद्र सरकार ने अब तय किया है कि ऐसे कर्मचारी जिनकी ज्वाइनिंग किसी कारणवश एक जनवरी 2004 को या उसके बाद हुई है, मगर उनकी भर्ती प्रक्रिया इस तारीख से पहले ही पूरी हो चुकी थी, वे पुरानी पेंशन व्यवस्था में शामिल होने के लिए आवेदन दे सकते हैं।
पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आने के लिए ये शर्तें करनी होंगी पूरी...
वन टाइम ऑप्शन में ये सब शामिल किया गया है...
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