
जयपुर. राजस्थान की सियासत में इन दिनों भूचाल मचा हुआ है। हार्स ट्रेडिंग के नाम पर एक बार फिर से सियासी खींचतान शुरू हो गयी है। राजस्थान एसओजी ने दो मोबाइल नंबरों के आधार पर मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है और उन नंबरो से जो बातचीत हुई है उसके कुछ अंश एफआईआर में दिये गये हैं। FIR पढ़ने पर शुरुआत मे ही लगेगा कि राजस्थान की गहलोत सरकार को गिराने के लिये सारी जोड़तोड़ की जा रही है।
लेकिन इन सबके बावजूद सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में जो दिखाने की कोशिश की जा रही है सब कुछ वैसा ही है या फिर ये एक सोची समझी साजिश है, जिसके द्वारा कांग्रेस आलाकमान में एक मैसेज देने की कोशिश की जा रहा है कि राजस्थान में मध्य प्रदेश जैसे हालात हो सकते हैं और अपने ही लोग तख्ता पलट करने में लगे हुए हैं। जिससे काफी हद तक प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को हाशिए पर पहुंचाया जा सके क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच चल रही आपसी तकरार किसी से छिपी नहीं है।
हार्स ट्रेडिंग के नाम पर सरकार गिराने की पूरी पटकथा कैसे लिखी गयी और इसका नायक कौन है इसको समझने के लिये थोड़ा बैकग्राउंडर समझना बेहद जरुरी है। दरसल मध्य प्रदेश में बीते दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस से विद्रोह और भाजपा का दामन साधने की घटना ने कांग्रेस को हिला के रख दिया। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चल रही खींचतान किसी से छिपा नहीं था और इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस मे अविश्वास का धड़ा और मजबूत हो गया।
इस घटना के बाद सबकी नजरें राजस्थान पर आ कर टिक गयी क्योंकि यहां भी गहलोत और पायलट के बीच चल रही नूरा-कुश्ती किसी से छिपी नहीं है। तमाम खींचतान के बीच राज्यसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से एक बयान आता है कि विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश की जा रही है। विधायकों को खरीदने के लिए जयपुर 35 करोड़ रुपये भेज दिये गये हैं और राज्यसभा चुनावों मे सभी विधायकों की बाडेंबंदी कर दी गयी है।
जबकि प्रदेश अध्यक्ष व कुछ नेताओं ने साफ कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। विधायकों को खरीदने की कोशिश व बाड़ेबंदी महज कांग्रेस आलाकमान को खुश करने के लिये किया जा रहा है। लगभग 3 हफ्ते बाद एक बार फिर से इस मामले को उजागर किया है और इस बार एसओजी ने कई खुलासे कर दिये, जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बयान से ये भी इशारा दे दिया कि सरकार को गिराने के लिये अपने ही लोग साजिश कर रहे हैं।
इस मामले मे एसओजी ने एफआईआर दर्ज कर ली लेकिन ये शायद पहली बार एसा हुआ होगा कि एसओजी ने पूरे मामले को अंजाम देने से पहले ही खुल कर तमाम चीजे सामने रख दी जबकि एसओजी अमूमन किसी भी मामले को इतनी आसानी से खुलकर नहीं बताती। इन बातों से सवाल कई उठते हैं जिसका जवाब देने वाला शायद कोई नहीं। लेकिन ये तो साफ है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपमुख्यमंत्री को हाशिये पर पहुंचाने की कोशिश की है और आलाकमान में ये संदेश देने की कोशिश की है कि कि राजस्थान में मध्यप्रदेश जैसा असन्तुष्ट धड़ा एक्टिव हो गया है जिसका खामियाजा कहीं तख्त गवां के न उठाना पड़ जाए।
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