
ईद उल अजहा के मौके पर जानवारों की कुर्बानी को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रज़ा ने एक सुझाव दिया है। रजा ने कहा कि कोरोना की महामारी के दौरान किसी बकरे की कुर्बानी से बेहतर है किसी की जान को बचाया जाए। ऐसे में कुर्बानी पर जो पैसा खर्च किया जाना है उससे मुसलमान किसी की मदद करे। मोहसिन रजा ने साफ किया है कि ईद पर नमाज के लिये पाबंदी नही, लेकिन मस्जिदों में भीड़ न जुटे, इसके लिए घर मे नमाज़ पढ़ी जाए।
ईद उल अजहा के दौरान कुर्बान न करने की सलाह देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि जो लोग कोरोना से परेशान उन्हें कुर्बानी का पैसा दे दें। ये कुर्बानी अल्लाह कुबूल कर लेगा। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि वे कुर्बानी का जज़्बा दिखाएं। अगर करोड़ों जानवर कटेंगे तो मलबा कौन हटायेगा, खून बहेगा। उन्होंने कहा कि जब हज नही हो पा रहा तो जस्बे के तहत काम कीजिये जो पैसा कुर्बानी के लिये निकाला है उसे गरीब को दे दीजिए,अल्लाह कुबूल करेगा।
देवबंद की मांग गलत
रजा ने कहा कि देवबंद की तरफ से जो मांग सीएम योगी के सामने रखी गई। वो गलत है। जानवर की कुर्बानी से बेहतर कि कुर्बानी का पैसा किसी की जान बचाने के लिये लगा दिया जाए। इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने भी बकरीद के मद्देनजर राज्य सरकार से ईदगाह में नमाज पढ़ने की इजाजत देने और कुर्बानी की व्यवस्था करने की मांग करते हुए इस सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने सोमवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि बकरीद का त्योहार करीब आ रहा है और अनलॉक के बावजूद बहुत से स्थानों पर मवेशी बाजार लगाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। ऐसे में सरकार इस बारे में अनुमति के स्पष्ट आदेश जारी करे।
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