1000 साल पुराना भारत के कबृहदेश्वर मंदिर का रहस्य जिसके रहस्यों को आज तक नहीं सुलझा पाया कोई
Mysterious Temple In India - भारत को मंदिरों और तीर्थस्थानों का देश कहा जाता है। यहां लगभग हर इलाके में कोई न कोई मंदिर देखने को मिल जाता है। इसकी वजह ये है कि भारत में लोग भगवान या ईश्वर को इतना मानते हैं कि उनके लिए विशाल से विशाल मंदिर बनवाने से जरा भी नहीं हिचकते।
यह कोई आज की बात नहीं हैं बल्कि ऐसा सदियों से चला आ रहा है। देश में ऐसे भी कई मंदिर हैं, जिन्हें रहस्यमय माना जाता है। आज ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसके रहस्य को आज तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है। Mysterious Temple In India
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1000 साल पुराना भारत का वो मंदिर
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यह कोई आज की बात नहीं हैं बल्कि ऐसा सदियों से चला आ रहा है। देश में ऐसे भी कई मंदिर हैं, जिन्हें रहस्यमय माना जाता है। आज ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसके रहस्य को आज तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है।
बृहदेश्वर अथवा बृहदीश्वर मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। बृहदेश्वर मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट निर्मित है। विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
इसका निर्माण 1003-1010 ई. के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इसके तेरह (13) मंजिलें भवन (सभी हिंदू अधिस्थापनाओं में मंजिलो की संख्या विषम होती है।) की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। मंदिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।
यह कला की प्रत्येक शाखा - वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर उत्कीर्ण संस्कृत व तमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, अनुमानत: उसका भार 2200 मन (80 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका वृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।
मंदिर में प्रवेश करने पर गोपुरम् के भीतर एक चौकोर मंडप है। वहां चबूतरे पर नन्दी जी विराजमान हैं। नन्दी जी की यह प्रतिमा 6 मीटर लंबी, 2.6 मीटर चौड़ी तथा 3.7 मीटर ऊंची है। भारतवर्ष में एक ही पत्थर से निर्मित नन्दी जी की यह दूसरी सर्वाधिक विशाल प्रतिमा है। तंजौर में अन्य दर्शनीय मंदिर हैं- तिरुवोरिर्युर, गंगैकोंडचोलपुरम तथा दारासुरम्।
Mysterious Temple In India
इस मंदिर का नाम है बृहदेश्वर मंदिर, जो तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। इस वजह से इसे तंजौर के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 1003-1010 ई. के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर ही इसे 'राजराजेश्वर मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर को बनाने को लेकर उन्हें एक सपना आया था, जब वो श्रीलंका की यात्रा पर निकले हुए थे।
The name of this temple is Brihadeeswarar Temple,
which is located in Tanjore, Tamil Nadu. Due to this it is also known as the
temple of Tanjore. It was built by the first Chola ruler Rajaraja Chola between
1003-1010 AD. It is also known as 'Rajarajeshwar Temple' after his name. It is
said that he had a dream to build this temple when he was on a trip to Sri
Lanka.
यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट से निर्मित है। दुनिया में यह संभवत: अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और गुंबद की वजह से दुनियभर में मशहूर है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है।
This temple is completely built of granite. It is
perhaps the first and only temple of its kind in the world made of granite. It
is famous worldwide for its grandeur, architecture and dome. This temple is
included in the list of UNESCO World Heritage Sites.
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 13 मंजिला है, जिसकी ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। वैसे आमतौर पर बिना नींव के तो न ही कोई मकान बनता है और न ही किसी प्रकार की अन्य इमारत।
This temple, dedicated to Lord Shiva, is
13-storeyed with a height of about 66 meters. By the way, usually no house is
built without foundation nor any other type of building.
Mysterious Temple In India
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लेकिन इस विशालकाय मंदिर की सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि यह बगैर नींव के हजारों साल से खड़ा है। यह एक रहस्य ही है कि बिना नींव के यह कैसे इतने साल से टिका हुआ है।
But the most amazing thing about this giant temple
is that it has stood for thousands of years without foundation. It is a mystery
how it has survived for so many years without foundation.
इस मंदिर की एक और विशेषता ये है कि इसके शिखर पर एक स्वर्णकलश स्थित है और ये स्वर्णकलश जिस पत्थर पर स्थित है, उसका वजन करीब 80 टन बताया जाता है, जो एक ही पत्थर से बना हुआ है। अब इतने वजनदार पत्थर को मंदिर के शिखर पर कैसे ले जाया गया होगा, यह अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है, क्योंकि उस समय तो क्रेन तो नहीं होते थे। कहते हैं कि इस गुंबद की परछाई धरती पर नहीं पड़ती। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
Another feature of this temple is
that there is a Swarnakalash situated on its summit and the weight of the stone
on which this Swarnakalash is situated is said to be around 80 tonnes, which is
made of the same stone. How such a heavy stone would have been carried to the
summit of the temple now remains a mystery, because there were no cranes at
that time. It is said that the shadow of this dome does not fall on the earth.
However, this could not be confirmed.
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